TDS
TDS का फुल फॉर्म Tax deduction at source होता है आपकी income का कुछ percent आपको income का पेमेंट करने बाले payer के जरिये काटा जाता है इस प्रक्रिया में payer को Dedutor और income पाने वालो को Deductee के नाम से भी जाना जाता है Deductor के जरिये Tax deduction at source काटने के बाद जो Tax deduction at source राशी होती है वो गवर्नमेंट के खाते में जमा की जाती है और यही आपके आपके Financial Year में जितना tds कटा है उसका कुछ राशी साल के अंत में income tax return file करने समय दिख जाता है इस पर एक विशेष चीज यह है की अगर deductor के जरिये tds समय पर गवर्नमेंट को जमा नहीं किया जाता है है तो deductor पर interest और Penalty भी लगता है
Deductee को उसके tds काटने के डिटेल कैसे मिलता है
deductor अपने deductee को एक सर्टिफिकेट जिसको की (form 16/16A) भी कहा जाता है वह उसको दिया जाता है जिसमे काटे गए Tax deduction at source की पूरी डिटेल मौजूद रहती है इस Tax deduction at source के कटने से deductee को मुख्य फायदा यह होता है की अगर deductee की taxable income कम होती है तो वह अगले साल assessment year की retun file करते वक़्त refund claim कर सकते है
example financial year 2019-2020 में आपकी salary से income generate होती है 2,50,000 से कम ( less than 2.5 lakhs) तो आप Assessment Year 2020 -21 की ITR file करके काटे गए TDS का REFUND CLAIM कर सकते है TDS कई तरह के पेमेंट पर काटा जाता है जैसे की सैलरी, Interest, Commission, Fees, Rent, Contract Payment इत्यादि
SECTION 192
में EMPLOYER के जरिये अपने EMPLOYEE को दी जाने वाली सैलरी पर Tax deduction at source काटा जाता है लेकिन सैलरी पर TDS काटने के basic condition पूरी होनी चाहिए और condition यह है की employer और employee का रिलेशन होना चाहिए यदि यह relation नहीं है तो section 192 में tds नहीं कटा जा सकता है
for example :- किसी कंपनी के डायरेक्टर को कंपनी द्वारा दिए जाने वाले पेमेंट पर इस section में tds नहीं काटा जायेगा क्यों की डायरेक्टर को employee नहीं माना जाता है
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